Crude Oil War: दुनिया भर में क्यों गिर रही तेल की कीमतें ? यह रूस, अमेरिका, सउदी अरब के प्राइस वॉर का असर तो नहीं आइए जानें!

Crude Oil War: दुनिया भर में क्यों गिर रही तेल की कीमतें ? यह रूस, अमेरिका, सउदी अरब के प्राइस वॉर का असर तो नहीं आइए जानें!

नई दिल्ली: इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बाद भारत में भी इसका असर देखने को मिल रहा है और गत दिनों इसके दामों में गिरावट दर्ज की गई. यह सिलसिला जारी रहा तो पेट्रोल-डीजल के दामों में और गिरावट हो सकती है. इसका मुख्य कारण सऊदी अरब और रूस में छिड़े प्राइव वॉर को माना जा रहा है. इसी वजह से पिछले कुछ हफ्तों में इसमें काफी बदलाव के संकेत मिल रहे हैं.

अगर फरवरी और मार्च की ही बात करेें तो कीमतों में करीब 35फीसदी की औसत गिरावट दर्ज की गई. पिछले एक महीने में इसमें 18रुपये प्रति डाॅलर तक की कमी देखी गई. इस फेरबदल की असल वजह यही है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दरअसल दुनिया में सबसे ज्यादा तेल उत्पादन करने वाले देश का तमगा हासिल करना चाहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि 2018के बाद वह नंबर वन तेल उत्पादक देश नहीं रहा. वर्तमान में अमेरिका तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है वहीं दूसरे नंबर पर सऊदी अरब है.

लेकिन कीमतों में कमी की बड़ी वजह कोरोना वायरस को भी बताया जा रहा है. जिसके कारण दुनिया के 100से अधिक देश परेशान हैं. खास तौर पर ऊर्जा क्षेत्र इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है. एविएशन सेक्टर में मंदी के कारण तेल की डिमांड भी काफी गिर रही है जिससे कीमत पर दबाव बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि रूस अमेरिकी तेल कंपनियों को बर्बाद करने पर तुला है, जिससे वहां बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की समस्या पैदा होने की आशंका है. इस बीच ओवर सप्लाई के कारण तेल की गिरती कीमत को रोकने के लिए सऊदी अरब ने पहले उत्पादन में कटौती की बात की तो रूस ने प्रॉडक्शन बढ़ा दिया। बाद में सऊदी अरामको ने भी कहा कि वह अप्रैल तक अपने प्रॉडक्शन में 20फीसदी का इजाफा करेगा। इससे कीमत में और गिरावट आएगी.

कहा तो ये तक जा रहा है कि अमेरिकी शेल कंपनियों पर कर्ज का भारी बोझ है। अगले कुछ हफ्तों तक अगर कीमत में गिरावट का सिलसिला जारी रहा तो कई कंपनियां दिवालिया हो सकती हैं। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होगा। इसका सबसे ज्यादा असर टैक्सस की अर्थव्यवस्था पर होगा जहां तेल का बिजनस बड़े पैमाने पर है। इससे हजारों लोगों को अपनी भी नौकरी गंवानी पड़ सकती है।

अमेरिका को सबक सिखाना चाहता है रूस

सऊदी अरब का कहना है कि वह अप्रैल में अपना प्रॉडक्शन करीब 27 फीसदी तक बढ़ाकर 1.23 करोड़ बैरल तेल रोजाना उत्पादन करेगा। कीमत में भी वह 6-8 डॉलर प्रति बैरल तक कटौती करेगा। रूस इस लड़ाई के जरिए अमेरिका को सबक सिखाना चाहता है। दरअसल कुछ सप्ताह पहले ट्रंप प्रशासन ने रसियन स्टेट ऑयल कंपनी रोजनेफ्ट की सब्सिडियरी कंपनी पर सैंक्शन की घोषणा की थी। रूस इसका बदला लेना चाहता है। 

इस समय रूस और सऊदी अरब की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रूस तेल से कमाई पर 37 फीसदी निर्भर है, जबकि सऊदी तेल से कमाई पर 65 फीसदी निर्भर है। अगर तेल की कीमत 42 डॉलर रहती है तो रूस अपने बजट को बैलेंस कर सकता है, जबकि सऊदी अरब के लिए यह कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल है। इस तरह रूस फिलहाल इस खेल में में अपने दांव से आगे चल रहा है जिस पर अमेरिका चित नजर आ रहा है.

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