कोरोना के कारण शिक्षा पर असर, लोगों में पैदा हुई असमानता की दूरी, जानें कैसे

कोरोना के कारण शिक्षा पर असर, लोगों में पैदा हुई असमानता की दूरी, जानें कैसे

नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने दुनिया भर में शिक्षा और शैक्षिक प्रणालियों को बहुत बड़े स्तर पर प्रभावित किया है. कोरोना के असर को कम करने की कोशिशों में दुनिया भर की सरकारों ने अस्थायी रूप से शिक्षण संस्थानों को बंद करने का निर्णय लिया था.

महामारी की वजह से पिछले साल लगभग 1.077 बिलियन शिक्षार्थी वर्तमान में स्कूल बंद होने के कारण प्रभावित हैं. यूनिसेफ की निगरानी के मुताबिक, लॉकडाउन का असर दुनिया की लगभग 61.6 प्रतिशत आबादी पर हुआ. यदि पिछले एक साल की बात करें तो कोरोना महामारी के कारण 160 करोड़ बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ा है.

यदि भारत की बात की जाए तो भारत में पहले ही शिक्षा का स्तर गिरा हुआ था. और जो बचा था वो अब धीर-धीरे समाप्त हो रहा है. कोरोना महामारी के कारण पिछले डेढ़ साल से स्कूल, कॉलेज बंद पड़े है. घरों की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कुछ छात्रों को बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है.

बच्चे कोरोना के खत्म होने का इंतेजार कर रहे है कि कब कोरोना खत्म हो शिक्षा व्यवस्था फिर से पहले की तरह सुचारू रूप से शुरू हो सके. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक कोरोना महामारी का सबसे अधिक प्रभाव लड़कियों और महिलाओं पर देखने को मिल रहा है. स्कूल बंद होने से वे बाल विवाह और लिंग आधारित हिंसा के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाएंगी.

कोरोना महामारी ने शिक्षा प्रणाली में मौजूद असमानता को और अधिक बढ़ा दिया है. वर्चुअल पढ़ाई के कारण लड़कों और लड़कियों के बीच का फर्क और गहरा गया. इस फर्क को डिजिटल डिवाइड कहा जा रहा है. डिजिटिल डिवाइड लोगों के बीच का वो फासला है जो इंटरनेट की उपलब्धता से जुड़ा है.

कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा को विकल्प के तौर पर देखा गया है.या कहे ये समय की मांग है. महामारी के दौरान शारीरिक दूरी बनाए रखने की स्थिति में ऑनलाइन शिक्षा ही सही रही है. पर इसकी तुलनी फिजिकल स्कूल और क्लास से नहीं की जा सकती है. सीखने के स्तर पर ऑनलाइन शिक्षा फिजिकल शिक्षा की जगह नहीं ले सकती है.

ऑनलाइन शिक्षा असमानता को बढ़ा रही है. जो बच्चे गांवों में हैं, पहाड़ों पर हैं या किसी भी दूरदराज के ऐसे इलाके में हैं, जहां बिजली, इंटरनेट नहीं होता, वहां पढ़ाई नहीं हो सकेगी.साथ ही बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. निम्न आय वाले देशों में प्राथमिक स्तर पर तकरीबन 86% बच्चे स्कूल से बाहर हो गए हैं, जबकि उच्च आय वाले देशों में यह आँकड़ा केवल 20% बच्चे स्कूल से बाहर हो गए है.

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