नई दिल्ली :15 जून को भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प हुई थी. वहीं चीन गलवान घाटी में मारे गए अपने सैनिकों के बलिदान को नजरअंदाज कर रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, चीन अपने सैनिकों द्वारा दिए गए बलिदान को मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है. चीन की सरकार झड़प में मारे गए जवानों के परिजनों पर दबाव डाल रही है कि वे उनकी शव यात्रा और अंतिम संस्कार के समारोह का आयोजन न करें.
आपको बता दें कि, गलवान घाटी में मारे गए चीन के सैनिकों के बलिदान को चीन नजरअंदाज कर रहा है.गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इस घटना में दोनों ही पक्ष के जवान हताहत हुए थे.भारत ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपने 20 जवानों के शहीद होने की बात को स्वीकार किया था, साथ ही उन्हें हीरो की तरह सम्मान दिया गया था.
वहीं अब दूसरी तरफ, चीन ने अपने जवानों के हताहत होने की बात को स्वीकारा तक नही है पीएम मोदी ने 28 जून को अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में गलवां घाटी के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और सेना के जवानों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की. उन्होंने कहा कि इन परिवारों का बलिदान पूजा करने लायक है. इस घटना के एक महीने बाद भी, चीन ने इस खूनी संघर्ष में मारे गए अपने जवानों की संख्या को लेकर कोई आधिकारिक खुलासा नहीं किया है.
साथ ही चीन सरकार द्वारा अपने प्रियजनों को खोने वाले दुखी चीनी परिवारों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है. पहले, चीनी सरकार ने इस घटना के बाद अपने जवानों के हताहत होने की संख्या को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और अब मारे गए सैनिकों के परिजनों को उनके शवों को दफनाने से मना कर दिया है.
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