पेट्रोल-डीजल सस्ता हों या नहीं, तेल कंपनियों का 15 रुपये कमाने का जुगाड़ जारी

पेट्रोल-डीजल सस्ता हों या नहीं, तेल कंपनियों का 15 रुपये कमाने का जुगाड़ जारी

Petrol and Diesel Price: भारत में महंगाई दर 4प्रतिशत से नीचे बनी हुई है, लेकिन आम नागरिकों की जेब पर पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। ये स्थिति तब है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 72डॉलर प्रति बैरल से भी कम हो गई हैं, जिससे सरकारी तेल कंपनियों को सीधे लाभ हो रहा है। जैसे-जैसे कच्चे तेल की कीमतें गिर रही हैं, इन कंपनियों के खजाने भी मुनाफे से भरते जा रहे हैं।

बदली हुई कीमतें, लेकिन वही मुनाफा

मार्च 2024में, पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2रुपए प्रति लीटर की कटौती की थी, लेकिन उसके बाद से कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया है। उस समय ब्रेंट क्रूड की कीमतें 85डॉलर प्रति बैरल के आसपास थीं। अब तक, कच्चे तेल की कीमतों में 14डॉलर प्रति बैरल की कमी आई है, लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। यह स्थिति उपभोक्ताओं के लिए समझ से परे है, क्योंकि वे यह जानना चाहते हैं कि कंपनियाँ किस प्रकार से लाभ कमा रही हैं।

सरकारी कंपनियों का मुनाफा

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) जैसी सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल पर 15रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 12रुपये प्रति लीटर का मुनाफा कमाया है। ICRA की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण इन कंपनियों के मुनाफे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

ICRA के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों में हालिया गिरावट से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए ऑटो फ्यूल की रिटेल सेल्स पर मार्केटिंग मार्जिन में सुधार हुआ है। भारत में, कई राज्यों में पेट्रोल की कीमतें 100रुपये प्रति लीटर से ऊपर हैं, जबकि डीजल की कीमतें 90रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गई हैं। ये ऊंची कीमतें महंगाई पर सीधा असर डालती हैं, जिससे परिवहन और रोजमर्रा की आवश्यकताओं की लागत में वृद्धि होती है।

ओएमसी का शानदार वित्तीय प्रदर्शन

वित्त वर्ष 2023-24के लिए ओएमसी का वित्तीय प्रदर्शन पिछले वर्षों की तुलना में बहुत अच्छा रहा है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाल ही में सरकारी ओएमसी के 86,000करोड़ रुपये के कंबाइंड प्रॉफिट की पुष्टि की है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25गुना अधिक है। HPCL ने इस वित्तीय वर्ष में 16,014करोड़ रुपये का रिकॉर्ड प्रॉफिट कमाया, जबकि BPCL का लाभ 26,673करोड़ रुपये रहा।

उपभोक्ताओं के लिए कोई राहत?

इन शानदार वित्तीय नतीजों के बावजूद, भारतीय उपभोक्ताओं को फ्यूल की कीमतों में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं देखने को मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि ओएमसी के पास कीमतों में कटौती की गुंजाइश है, जो आगामी राज्य चुनावों के मद्देनजर उपभोक्ताओं को कुछ राहत दे सकती है।

मार्केटिंग मार्जिन में सुधार

कच्चे तेल की कीमतों का फ्यूल रिटेल सेलर्स की प्रॉफिटेबिलिटी पर सीधा प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिर रही हैं, ओएमसी अपने मार्केटिंग मार्जिन को बढ़ाने में सफल हो रही हैं।

सरकारी आश्वासन

पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव पंकज जैन ने हाल ही में कहा कि अगर कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय तक कम रहती हैं, तो फ्यूल की कीमतों में कटौती पर विचार किया जा सकता है। फिर भी, आम जनता इस पर संशय में है, क्योंकि पिछले अनुभवों में वैश्विक तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद भारत में फ्यूल की कीमतों में कोई सार्थक कमी नहीं आई है।

आगे देखने पर, यह स्पष्ट है कि यदि कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं, तो उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। लेकिन तब तक, वे उच्च कीमतों के बोझ को सहन करने के लिए मजबूर हैं।

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