रुपये की दो साल की सबसे बड़ी छलांग, डॉलर को लगा करारा झटका

रुपये की दो साल की सबसे बड़ी छलांग, डॉलर को लगा करारा झटका

Rupee VS Dollar: बीते छह कारोबारी दिनों में रुपये ने जबरदस्त मजबूती दर्ज की है। इस दौरान, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 1.23 रुपये की बढ़त हुई है। यह करीब 1.5% की मजबूती को दर्शाता है।

बता दें कि,10 फरवरी को रुपया 87.94 के अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। इसके बाद इसमें 1.94 रुपये (2.20%) की तेजी आई। दूसरी ओर, डॉलर इंडेक्स जो अमेरिकी डॉलर की मजबूती को मापता है, जनवरी में 110 के स्तर पर था। अब तक इसमें 5-6% की गिरावट देखी जा चुकी है।

शेयर बाजार में तेजी से रुपये को मिला सपोर्ट

घरेलू शेयर बाजार में मजबूती और विदेशी निवेश में बढ़ोतरी के कारण शुक्रवार को रुपया लगातार छठे दिन मजबूती के साथ बंद हुआ। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में रुपया 86.26 पर खुला। कारोबार के दौरान यह 85.93 के उच्चतम स्तर और 86.30 के निम्नतम स्तर तक पहुंचा। अंत में रुपया 36 पैसे की बढ़त के साथ 86 (अनंतिम) पर बंद हुआ।

इससे पहले, गुरुवार को रुपया लगभग स्थिर रहा था और केवल 1 पैसे की मामूली बढ़त के साथ 86.36 पर बंद हुआ था। पिछले छह कारोबारी सत्रों में रुपये में कुल 1.23 रुपये की मजबूती देखी गई है।

क्या आगे भी मजबूत रहेगा रुपया?

मिराए एसेट शेयरखान के विश्लेषक अनुज चौधरी का कहना है कि घरेलू शेयर बाजार में मजबूती और विदेशी निवेश बढ़ने से रुपया और मजबूत हो सकता है। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से रुपये की तेजी पर असर पड़ सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, USD/INR की हाजिर कीमत 85.80 से 86.25 के बीच रह सकती है। इस बीच, डॉलर इंडेक्स 0.19% बढ़कर 104.04 पर कारोबार कर रहा था।

शेयर बाजार में उछाल से निवेशकों का भरोसा बढ़ा

ग्लोबल तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.29% की गिरावट देखी गई। यह अब 71.79 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। घरेलू शेयर बाजार में भी मजबूती दर्ज की गई। बीएसई सेंसेक्स 557.45 अंक (0.73%) चढ़कर 76,905.51 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 159.75 अंक (0.69%) बढ़कर 23,350.40 पर पहुंच गया। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने गुरुवार को 3,239.14 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

रुपये की यह मजबूती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, निवेशकों को आगे भी वैश्विक बाजार के उतार-चढ़ाव पर नजर बनाए रखनी होगी।

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