Donald Trump Tariffs On India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित कारों पर 25%टैरिफ लगाने की घोषणा की है। लेकिन भारत के लिए राहतभरी खबर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका भारत को चीन, मेक्सिको और कनाडा की तरह नहीं देखेगा। इसे एक अलग टैरिफ श्रेणी में रखा जाएगा।
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय व्यापार अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत की। इसमें साफ हुआ कि भारत को चीन, मेक्सिको और कनाडा के साथ नहीं जोड़ा जाएगा। कुछ हाई-डिमांड प्रोडक्ट्स पर टैरिफ में कटौती हो सकती है। इससे भारतीय उद्योगों को राहत मिलेगी। खबरों के अनुसार, तीन दिनों में इस व्यापार वार्ता से नई नीति तय हो सकती है। हालांकि, अमेरिका भारत पर कुछ व्यापारिक रियायतें देने का दबाव भी बना रहा है।
अमेरिकी टैरिफ नीति और भारत की स्थिति
यह खबर ऐसे समय आई है जब अमेरिका ने पहले चीन पर 10%टैरिफ लगाया था। बाद में इसे 20%कर दिया गया। 1फरवरी को अमेरिका ने मेक्सिको और कनाडा पर भी 25%टैरिफ लगाने की घोषणा की। इन देशों ने अमेरिका के खिलाफ जवाबी टैरिफ लगाए। लेकिन भारत की स्थिति इनसे अलग है।
टैरिफ पर केंद्रित है भारत-अमेरिका वार्ता
भारत और अमेरिका की व्यापार वार्ता मुख्य रूप से टैरिफ पर केंद्रित है। चीन, मेक्सिको और कनाडा के साथ अमेरिका की आर्थिक और सुरक्षा चिंताएं भी जुड़ी हुई हैं। लेकिन भारत और अमेरिका के बीच ऐसा कोई बड़ा विवाद नहीं है। इसलिए बातचीत आसान हो रही है।
व्यापारिक रियायतों की उम्मीद
भारत ने उन उत्पादों की सूची तैयार कर ली है जिन पर वह टैरिफ कम करने को तैयार है। इनमें इलेक्ट्रिक वाहन, ऑटोमोबाइल, बाइक, वाइन, अल्कोहल और कुछ कृषि उत्पाद शामिल हैं। भारतीय अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि बदले में अमेरिका भी भारत पर लगाए गए टैरिफ में राहत देगा।
अप्रैल में वित्त मंत्री की अमेरिका यात्रा संभव
‘India-US Fast Track Mechanism’ के तहत यह व्यापार वार्ता बुधवार को शुरू हुई। शुक्रवार तक पूरी होने की उम्मीद है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व असिस्टेंट ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ब्रेंडन लिंच कर रहे हैं। भारतीय टीम की अगुवाई वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल कर रहे हैं।
खबरों के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अप्रैल 2025में अमेरिका जा सकती हैं। 13फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-अमेरिका व्यापार को 2030तक 200अरब डॉलर से बढ़ाकर 500अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा था।
अब सभी की नजरें इस व्यापार वार्ता पर टिकी हैं। यह तय करेगा कि भारत को अमेरिकी टैरिफ नीति में कितनी राहत मिलेगी।
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