Diwali 2024: पिछले कुछ वर्षों में दिवाली और धनतेरस पर चाइनीज उत्पादों की मांग भारतीय बाजारों में तेजी से घट रही है। खासकर सजावटी सामानों की बिक्री में कमी आई है। इस कमी के कारण आयात भी घटा है, जिससे स्वदेशी सामानों की बिक्री को बढ़ावा मिला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' अभियान का असर अब साफ नजर आ रहा है। इस साल अधिकांश लोग दिवाली पर स्वदेशी उत्पाद खरीदते हुए दिख रहे हैं। विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक सजावट के सामान में 'मेड इन इंडिया' की पहचान को प्राथमिकता दी जा रही है।
चाइनीज उत्पादों का बहिष्कार
एक अनुमान के अनुसार, दिवाली से जुड़े चाइनीज सामानों की बिक्री में गिरावट से चीन को लगभग 1लाख 25हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। पिछले कई वर्षों से दिवाली पर चाइनीज उत्पादों का बहिष्कार किया जा रहा है। लोग कुम्हारों से मिट्टी के दीये और सजावट के सामान खरीदकर 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।
कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देशभर के व्यापारिक संगठनों से अनुरोध किया है कि वे स्थानीय कारीगरों और कुम्हारों द्वारा बनाए गए दिवाली से संबंधित सामानों की बिक्री बढ़ाने में मदद करें। इससे जागरूकता बढ़ी है, और लोग घरेलू उत्पादों को तरजीह देने लगे हैं।कैट के जनरल सेक्रेटरी और चांदनी चौक के सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि इस दिवाली 'वोकल फॉर लोकल' का विचार बाजारों में स्पष्ट रूप से दिख रहा है। अधिकांश खरीदारी भारतीय सामानों की हो रही है।
सोने-चांदी की खरीदारी में वृद्धि
भारतीय परंपरा के अनुसार, दिवाली और धनतेरस पर जमकर खरीदारी की जाती है। इस अवसर पर लोग सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन, रसोई का सामान, वाहन, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स और फर्नीचर खरीदते हैं।
कैट के अनुसार, इस साल धनतेरस पर लगभग 60 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है, जो दिवाली तक 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा। इस दौरान, सोने और चांदी के अलावा पीतल के बर्तनों की भी शानदार बिक्री हुई है। इस बार करीब 2500 करोड़ रुपये की चांदी और एक दिन में 20 हजार करोड़ रुपये का सोना बिकने की उम्मीद है।
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