Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को केंद्रीय बजट पेश करने जा रही हैं और विशेषज्ञों का अनुमान है कि आगामी बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए अधिक आवंटन किया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हाल के दिनों में जिस तरह से आतंकी हमले बढ़े हैं और पाकिस्तान के साथ हालात तनावपूर्ण हुए हैं, उसे देखते हुए बजट में रक्षा खर्च में बढ़ोतरी का ऐलान संभव है।गौरतलब है कि रक्षा खर्च के मामले में भारत चीन से पीछे है। जैसे-जैसे भारत का कद और शक्ति बढ़ती जा रही है, चीन एक पड़ोसी के रूप में उभरा है जिसके साथ भारत की कुछ झड़पें भी हुई हैं। सुरक्षा खर्च बढ़ाने के लिए भारत की रणनीति चीन को दूर रखने पर केंद्रित होगी।
क्यों है रक्षा बजट बढ़ाने की जरूरत?
विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण चीन सागर के तटीय इलाकों में चीन की हरकतें वैश्विक संघर्ष परिदृश्य के मद्देनजर भारत की ओर से तैयारियों का संकेत देती हैं। उन्होंने कहा कि एलएसी और एलओसी पर चीन की हरकतें भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने में चुनौतियां पैदा करती हैं। भारत के रक्षा बजट से वैश्विक स्तर पर तेजी से बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्यों को पूरा करने की उम्मीद है। इसलिए रक्षा बजट बढ़ाने की जरूरत है।
चीन बनाम भारत का रक्षा बजट
चीन की आर्थिक मंदी के बावजूद, देश ने 2015 से अपने रक्षा व्यय को दोगुना कर दिया है। अंतरिम बजट 2024-25 में, मोदी सरकार ने लगभग 75 बिलियन डॉलर आवंटित किए थे। वहीं, 2024 के लिए चीन का रक्षा बजट 7.2 प्रतिशत बढ़कर चीनी युआन (CNY) 1.66554 ट्रिलियन हो जाएगा, जो 231.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और पाकिस्तान से भारत को पैदा होने वाले खतरे समेत मौजूदा भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए भारत को आगामी बजट में केंद्र सरकार के कुल खर्च का कम से कम 25 फीसदी खर्च करना चाहिए।
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