चुनावी रण में उतरे बीजेपी- कांग्रेस के धुरंधर

चुनावी रण में उतरे बीजेपी- कांग्रेस के धुरंधर

जिस बात का पिछले काफी दिन से सभी को इंतजार था, आखिरकार वो पल आ ही गया। चुनावी रेस में उतरे सियासी दलों में से राष्ट्रीय दलों बीजेपी और कांग्रेस ने सभी 90 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।

बीजेपी ने 12 सीटों पर भारी मंथन के बाद उम्मीदवारों के नाम घोषित किए, तो वहीं हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद कांग्रेस ने भी दो किस्तों में सभी 90 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी चुनावी स्टोरी में ट्विस्ट उस वक्त आया जब शिरोमणि अकाली दल ने अपने पुराने सहयोगी इनेलो के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी तो वहीं कांग्रेस को चुनाव से पहले एक बड़ा झटका लगा है।

आंतरिक कलह से लगातार जूझ रही हरियाणा कांग्रेस का मुश्किल वक्त खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। उसके अपने ही उसकी राह में कांटे बिछाने का काम कर रहे हैं। चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है,पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर ने कांग्रेस की सभी कमेटियों से इस्तीफा दे दिया है। बीजेपी आलाकमान ने भी उन 12 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी, जो उसके लिए परेशानी का सबब बनी थी। अपनी दूसरी सूची में बीजेपी ने संगठन की मजबूती का नमूना पेश किया और टिकट के लिए दवाब की राजनीति कर रहे केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत समेत उनके करीबी विधायकों को दरकिनार कर दिया। बीजेपी ने जहां राव की बेटी आरती राव को टिकट देने की मांग को नजर अंदाज़ कर दिया, तो वहीं करीबी विधायकों कोसली से बिक्रम ठेकेदार, रेवाड़ी से रणधीर कापड़ीवास, गुरुग्राम से उमेश अग्रवाल का भी टिकट काट दिया, पानीपत सिटी से विधायक रोहिता रेवड़ी को भी बीजेपी ने टिकट नहीं दिया।

हालांकि बीजेपी के इस फैसले के बाद गुरूग्राम से उसके मौजूदा विधायक ने बगावती तेवर अपना ले हैं। और इस बार चुनाव में अपनी पत्नी को आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर उतारने का फैसला उमेश अग्रवाल ने लिया है। बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने वालों  में पृथला विधानसभा सीट से टिकट की मांग कर नयनपाल रावत भी शामिल हैं, उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जबकि BJP नेता गजेंद्र सिंह संधू ने कमल का साथ छोड़कर शिरोमणि अकाली दल का दामन थाम लिया। इस चुनावी पटकथा में ट्विस्ट उस वक्त आया जब शिरोमणि अकाली दल ने अपने पुराने सहयोगी दल इनेलो का रुख किया। और इनेलो के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की घोषणा की हरियाणा में बीजेपी के साथ गठबंधन न होने के बाद शिरोमणि अकाली दल ने बुधवार को इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठजोड़ करके चुनाव लड़ने की घोषणा की।

राजनीति को संभावनाओं का खेल है ये बात एक बार फिर सच साबित हो गई है। टिकट वितरण से पहले बीजेपी और कांग्रेस के जो अपने थे, वही टिकट न मिलने पर पराए हो गए बागी हो गए। वहीं इनेलो से अलग राह अपनाने वाला शिरोमणि अकाली दल एक बार फिर उसका सहयोगी बन गया तो बीजेपी से शिअद का मन-मुटाव हो गया देखने वाली बात ये रहेगी कि बनते बिगड़ते ये सियासी रिश्ते , चुनावी समीकरणों को कितना प्रभावित करते हैं। और नतीजों पर कितना असर डालते हैं।

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