ये टिकट वितरण नहीं आसान...बस इतना समझ लीजिए..

ये टिकट वितरण नहीं आसान...बस इतना समझ लीजिए..

हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां खासी तेज़ हैं। और इस वक्त जो बात सियासी हलकों में चर्चा का विष्य बनी हुई है, वो है टिकट वितरण उम्मीदवारों के नामों को लेकर चल रही माथापच्ची सियासी दलों के सिर का दर्द बनी हुई है।

खासकर कांग्रेस और बीजेपी के लिए कांग्रेस को जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश है, इस लिए पिछले कई दिन से कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी उम्मीदवारों के नामों पर मंथन कर रही है, तो वहीं बीजेपी के सामने उम्मीदवारी के लिए ठोकी जा रही दावेदारी बड़ी समस्या बनी हुई है।

चुनावी मौसम में नेताओं का दल बदल कोई नई बात नहीं है। अक्सर दल बदलकर आने वाले ये नेता अपने नए दल के लिए फायदेमंद ही साबित होते हैं। और शायद यही वजह है कि बीजेपी ने दूसरे दलों से खासकर इनेलो से बीजेपी में शामिल हुए कुल छह विधायकों के नामों की घोषणा बतौर उम्मीदवार पनी पहली लिस्ट में कर दी है। तो वहीं पार्टी के मौजूदा सात विधायकों की टिकट काट दी गई है। टिकट कटने वालों में दो कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल और राव नरबीर भी शामिल हैं।

चुनावी मौसम में हवा का रुख भांपते हुए कई सियासी धुरंधर अपने दल को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए कुछ ऐसी नमोहर लहर चली कि सिर्फ विरोधी दलों के नेता ही नहीं बल्कि चुनाव मैदान में निर्दलीय उतरने वाले जन प्रतिनिधियों ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया। बीजेपी के पास मजबूत उम्मीदवारों की संख्या तो बढ़ती गई। लेकिन इस बढ़ती हुई संख्या ने पार्टी के सामने, उम्मीदवारी तय करने का संकट भी खड़ा कर दिया। दक्षिण हरियाणा में मजबूत पकड़ रखने वाले बीजेपी के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने उम्मीदवारी तय करने के मामले में दल बदलकर आए नेताओं को तवज्जो ना देने की बात खुलकर कही थी। राव ने साफ कहा था कि दक्षिण हरियाणा में दूसरी पार्टीयों से बीजेपी में आए नेताओं को टिकट नहीं दी जानी चाहिए। टिकट वितरण पर अपनी बात खुलकर रखने वाले राव इंद्रजीत इस वक्त अपनी बेटी आरती राव के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर भी बेटे के लिए टिकट की लॉबिंग कर रहे हैं।

दोनों मंत्री इस बात पर भी अड़े हुए हैं कि अगर उनके परिवार में किसी को टिकट नहीं तो दूसरे किसी सांसद के परिजन को भी टिकट न दी जाए राव की इस मांग को लेकर बीजेपी में खेमाबंदी होनी शुरू हो गई है। गुरूग्राम से विधायक उमेश अग्रावल, एक ट्वीट करते हैं, जिसमें वो लिखते हैं कि राव की अनदेखी पार्टी को दक्षिण हरियाणा में भारी पड़ सकती है। अब ये पार्टी के लिए बीजेपी विधायक की चिंता है या चेतावनी ये चर्चा का विषय है। बीजेपी तो टिकट वितरण की समस्या पर उलझी ही है। वहीं कांग्रेस समेत दूसरे विरोधी दलों के लिए भी उम्मीदवारों के नाम तय करना टेढ़ी खीर बना हुआ है।

बीजेपी ने 90 में से 78 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम तय कर दिए हैं।बाकी बची 12 सीटों पर भी पार्टी जल्द ही उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर देगी। पहली ही लिस्ट में सात विधायकों की टिकट काट दी गई है। और अब जिन 12 सीटों पर नामों की घोषणा बाकी है, उन सीटों पर किसे टिकट मिलती है, और किसकी टिकट कटती है, ये सवाल टिकट की दावेदारी ठोक रहे उम्मीदवारों की धड़कन जरूर बढ़ा  देगा। देखना दिलचस्प होगा कि टिकट वितरण के इस भंवर से सियासी दल कैसे निकलते हैं।

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