एक ऐसा गांव जहां किराए पर मिलती है AK 47, लूटा जाता है सोन नदी का 'सोना'

एक ऐसा गांव जहां किराए पर मिलती है AK 47, लूटा जाता है सोन नदी का 'सोना'

पटना: इन दिनों देश में चुनावी महौल चल रहा है। दिल्ली, गुजरात, हिमाचल में पार्टियां जीत को लेकर पूरी ताकत झोक रही है। ऐसे में आने वाले समय में जल्द ही बिहार में उपचुनाव होने वाला है। जिसके लिए सरकार अभी से तैयारियों में जुट गया है। नीतिश कुमार की सरकार लोगों को सुख-सुविधा देना का लगातार दावा कर रही है।

वहीं बात करें, बिहार में माफियाराज कि तो, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश सरकार का दावा है कि वहां माफिया राज खत्म हो गया है। लेकिन पटना के पास हुए एक 'माफिया वॉर' ने सच्चाई सबके सामने खड़ी कर दी है, दरअसल नीतीश सरकार के दौर में माफिया खत्म नहीं हुए हैं, बल्कि उनके अपराध करने का तरीका बदल गया है।

बिहार में बरमुडा ट्राएंगल

बिहार राज्य का वो ट्राएंगल क्षेत्र जो बहुत खतरनाक है। यहां आम इंसान का जाना मना है, आम इंसान तो छोड़िए सरकारी अधिकारियों, पुलिसकर्मियों तक का जाना मना है। पटना, आरा और छपरा के बीच बने इस खतरनाक ट्राइएंगल को कहते हैं रेत माफिया ट्राइएंगल। इस रेत माफिया ट्राइएंगल में वही जा सकता है, जो रेत का अवैध खनन करता हो, और जो हर वक्त गोलियां चलाने या जान लेने में माहिर हो।

माफिया वॉर खून की नदी

यहां गोलियों से होने वाली मौत का दुर्भाग्य होता है कि लाश दफन कर दी जाती है जो कभी नहीं मिलती। बिहटा में हुआ गैंगवार बिहार के इसी रेत माफिया ट्राइएंगल में हुआ। जहां सोन नदी की रेत के लिए अक्सर जंग छिड़ जाती है और लोगों का खून बहा दिया जाता है। सोन नदी की रेत के लिए माफिया वॉर नई बात नहीं है। इस खेल को रोकने की कोशिश कभी नहीं होती है। पुलिस के लिए भी इन माफियाओं को रोकना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि ये पूरा इलाके बीहड़ के जैसा है,  पुलिस को भी पैदल ही कई बार गश्त लगानी पड़ती है।

किराये पर मिलती है AK-47

पुलिस के अधिकारी की ढिलाई, और यहां के कठिन भूगोल, माफिया वॉर को नए लेवल पर ले आया है। पुलिस के लिए माफियाओं को रोकना और ज्यादा मुश्किल हो सकता है क्योंकि खनन माफिया पर अब किराए की AK 47 से लैस हैं। जानकारों के मुताबिक जब बड़े माफिया लड़ते हैं तो वह AK-47 बंदूक का इस्तेमाल करते हैं। वहीं जो लोग हथियार मुहैया कराते हैं वो 5-6 लाख के किराए पर हथियार सप्लाई करते हैं और इसी AK-47 के दम पर माफियाओं के गुर्गे अक्सर पुलिस पर भारी पड़ते हैं।

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