नवरात्रि के 9 दिन इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश है वर्जित, जानें क्या है कारण

नवरात्रि के 9 दिन इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश है वर्जित, जानें क्या है कारण

पटनाभारत में नवरात्रि का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। माता रानी के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तजन मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान के साथ व्रत रखते हैं। महिलाएं इन दिनों में खूब सज-सवर कर मां की अराधना करती है और परिवार के लिए खुशियां मांगती है। लेकिन नवरात्रियों में महिलाओं का मंदिर जाना ही बैन कर दे तो क्या हों, आपको या तो अजीब लगेगा या आपको गुस्सा आऐगा। जितने लोग उतनी प्रतिक्रियाएँ होगी हमारे पास। लेकिन ये सच है, बिहार में एक ऐसा स्थान है जहां नवरात्रि के नौ दिन तक महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जीत हैं।

आपको बता दे कि,बिहार के नालंदा में एक ऐसा मंदिर है, जहां नवरात्रि के समय 9दिनों तक महिलाओं के प्रवेश पर रोक होती है। इस मंदिर का इतिहास करीब 350वर्ष पुराना बताया जाता है। घोसरावां गांव में मां आशापुरी मंदिर (Maa Ashapuri Mandir) में नवरात्र के दौरान तांत्रिक आकर यहां सिद्धि पूजा करते हैं। महिलाओं के प्रवेश होने पर तांत्रिक का ध्यान भंग हो सकता है। इस मंदिर में नवरात्र के समय दस दिनों तक तांत्रिक पूजा होती है। यह परंपरा आदि काल से चला आ रहा है। नवरात्र के समय कोई महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती है। इसके लिए यहां के पुजारी और गांव वाले पूरी तरह से सतर्क रहते हैं।

मंदिर का इतिहास

स्थानीय लोगों का कहना है, कि तकरीबन साढ़े तीन सौ वर्ष पहले यहां पर माता की प्रतिमा अचानक प्रकट हुई थी। जब इस बात की जानकारी यहां के राजा घोष को मिली तो उन्होंने इसी स्थान पर माता का मंदिर का निर्माण कराया। राजा के द्वारा कराया गया मंदिर निर्माण के कारण इसका नाम घोसरावां गांव रख दिया गया। मंदिर के निर्माण के बाद लोगों ने पूजा पाठ करना शुरू कर दिया। राजा घोष तीन भाई थे, जिसके नाम घोसरावां, दूसरा बड़गांव व तीसरा तेतरावां था।

महिलाओं का प्रवेश वर्जीत

नवरात्र के मौके पर महिलाओं का प्रवेश मंदिर के अंदर निषेध है। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को अभी तक लोग निभा रहे हैं। पूर्वजों से चली आ रही परंपरा के अनुसार शारदीय नवरात्र के दौरान महिलाओं का मंदिर परिसर के साथ ही गर्भगृह में जाने की मनाही होती है। वहीं, चैत्र नवरात्र में मंदिर में प्रवेश तो होता है, लेकिन गर्भगृह में जाने पर प्रतिबंध रहता है।

क्या है मंदिर का महत्व?

सामान्य दिनों में यहां पर पूजा के लिए किसी को पाबंदी नहीं है, पर नवरात्र में यहां पर महिलाओं के लिए नौ दिन तक प्रवेश वर्जित रहता है। ग्रामीणों की मानें तो दस दिन तक होने वाली पूजा का विशेष महत्व माना गया है। नवरात्र के दौरान दूर दूर से तांत्रिक आकर यहां पर सिद्धि करते हैं। उनका ध्यान भंग ना हो इसलिए यह किया गया है।

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