इस वजह से होती है इंसान की भूरी और नीली आंखें

इस वजह से होती है इंसान की भूरी और नीली आंखें

नई दिल्ली:अक्सर हम देखते है कि कई लोगों के आखें की रंग नीला, भूरा, काला होता है। माना जाता है कि इन रंगों के लोग लक्की होते है। इस तरह की आंखें लोगों का ध्यान भी आकर्षित करती हैं। कई लोग आकर्षक दिखने के लिए अपनी आंखों का रंग बदलवा भी लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर लोगों के आंखों का रंग अलग-अलग होने के पीछे क्या वजह है?क्या है इसका विज्ञानी कारण।  

दरअसल हमारी आंखों का रंग पुतली में मैलानिन की मात्रा के मुताबिक तय होता है। इसके अलावा प्रोटीन का घनत्व, और आस-पास फैले उजाले पर भी आंखों का रंग निर्भर करता है। हमारी आंखों का रंग कुल 9कैटेगरी में बंटा हुआ है, जबकि 16जीन होते हैं। ये हमारी आंखों के रंग के साथ जुड़े होते हैं। आंखों के रंग के लिये जिम्मेदार दो प्रमुख जीन हैं OCA2और HERC2। ये दोनों ही क्रोमोसोम 15में मौजूद होते हैं। दरअसल, HERPC2जीन OCA2के एक्सप्रेशन को कंट्रोल करने का काम करता है। HERC2नीली आंखों के लिए एक हद तक जिम्मेदार माना जाता है। जबकि, OCA2नीली और हरी आंखों से जुड़ा होता है।

वहीं दुनिया में सबसे अधिक लोगों की आंखें भूरे रंग की होती हैं। इसके पीछे की वजह ये है  कि सबसे ज्यादा लोगों में इसे डेवलप करने वाले जीन ही मौजूद होते हैं। वहीं नीले रंग की आंखों वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे कम होती है। हालांकि आपको भूरे रंग की आंखों वाले लोग मिल सकते है। लेकिन नीली रंग की आंखों का मिलना काफी मुश्किल होता है। दरअसल, माना जाता है कि नीली आंखों वाले लोगों के पूर्वज एक ही हैं। करीब 6हजार से 10हजार साल पहले इंसानी जीन में हुए एक बदलाव के चलते लोगों की आंखों का रंग नीला होने लगा था।

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