Supreme Court On Bulldozer Action: बुलडोजर एक्शन मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई चल रही है। इस दौरान कोर्ट मे अवैध निर्माण को लेकर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं औरहमारे निर्देश सभी के लिए होंगे चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों। बेशक, सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण के लिए हमने कहा है कि अगर यह सार्वजनिक सड़क या फुटपाथ या जल निकाय या रेलवे लाइन क्षेत्र पर है, तो हमने स्पष्ट कर दिया है। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है, चाहे वह गुरुद्वारा हो या दरगाह या मंदिर यह सार्वजनिक बाधा नहीं बन सकती। बता दें, देश के कई राज्यों में हो रहे बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने के लिए SCपहुंचे थे। पहली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अगली सुनवाई तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
अवैध निर्माण पर सख्त SC
दरअसल, सुनावई के दौरान सॉलिसीटर जनरल, जो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार की ओर से दलील रख रहे थे, उन्होंने कहा कि यहां ऐसी छवि बनाने की कशिश की जा रही है, जैसे एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। मेहता के इस दलील पर जस्टिस गवई ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था में हैं। किसी भी धर्म का अवैध निर्माण हो, उसपर कार्रवाई होनी चाहिए। जस्टिस के इस बात पर मेहता ने कहा कि बिल्कुल यही होता है। उसके बाद जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि अगर 2 अवैध ढांचे हैं और आप किसी अपराध के आरोप को आधार बना कर उनमें से सिर्फ 1 को गिराते हैं, तो सवाल उठेंगे ही। जस्टिस गवई ने कहा कि जहां जनता की सुरक्षा की बात हो और स्थल पब्लिक प्लेस पर हो तो उसे हटाना ही होगा।
कोई दोषी है इसलिए ना हो कार्रवाई
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि हम ये साफ कर देना चाहते हैं कि सिर्फ इसलिए तोड़फोड़ नहीं की जा सकती, क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी या दोषी है। साथ ही, इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि तोड़फोड़ के आदेश पारित होने से पहले भी एक सीमित समय होना चाहिए। साल में 4 से 5 लाख डिमोलिशन की कर्रवाई होती हैं। पिछले कुछ सालों का यही आंकड़ा है। इस मामले में जमियत की ओर से दलील रख रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट अतीत की बातों के बजाय भविष्य में इसको लेकर नियम बनाने पर विचार करे।
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