AMBEDKARJAYANTI 2021: संविधान के निर्माण में अंबेडकर को ही क्यों चुना गया? जाने इस सवाल का जवाब

AMBEDKARJAYANTI 2021: संविधान के निर्माण में अंबेडकर को ही क्यों चुना गया? जाने इस सवाल का जवाब

नई दिल्ली: भारतीय संविधान के जनक और आजाद भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री बी आर अंबेडकर का जन्म उत्सव हर साल 14अप्रैल को देश भर में मनाया जाता है. सन् 1891में इसी दिन मध्यप्रदेश के महू गांव में रामजी शकपाल एवं भीमाबाई के घर चौदहवीं संतान के रूप में उनका जन्म हुआ था.

डॉ भीम राव अम्बेडकर दलितों और अछूतों लोगों के अधिकारों के लिए सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ने के लिये तत्पर रहते उनकी प्रतिभा का तेजस्व किसी से छुपा नही था. बाबा अंबेडकर को नौ भाषाओं का ज्ञान था. इन्होंने देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से कुल 32डिग्रियां प्राप्त की थीं. साल 1990में  अंबेडकर मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान  भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. इसलिए 1947में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्हें न्याय एवं कानून मंत्री का पद सम्भालने की जिम्मेदारी दी गई थी. स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण उन्होंनें ही किया था जिसे 26जनवरी 1950को लागू किया गया था इसलिए उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है

संविधान के निर्माण में आखिरकार अंबेडकर को ही क्यों चुना गया? ये सवाल हम सभी के मन में आता है. संविधान सभा द्वारा ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में उनका चयन उनकी राजनीतिक योग्यता और कानूनी दक्षता के चलते हुए था. संविधान को भारतीय समाज के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करने में डॉ. अंबेडकर की सबसे प्रभावी और निर्णायक भूमिका थी. अंबेडकर उन चंद लोगों में शामिल थे, जो ड्राफ्टिंग कमेटी का सदस्य होने के साथ-साथ शेष 15 समितियों में एक से अधिक समितियों के सदस्य थे.

संविधान में हम उनके व्यक्तित्व की छाप देखा जा सकता है स्वतंत्रता, समता, बंधुता, न्याय, विधि का शासन, विधि के समक्ष समानता, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और धर्म, जाति, लिंग और अन्य किसी भेदभाव के बिना सभी व्यक्तियों के लिए गरिमामय जीवन भारतीय संविधान का दर्शन एवं आदर्श है. ये सारे शब्द डॉ. आंबेडकर के शब्द और विचार संसार के बीज तत्व हैं. इस शब्दों के अर्थ को भारतीय समाज के व्यवहार में उतारने के लिए वे आजीवन संघर्ष करते रहे. इसकी छाप भारतीय संविधान में देखी जा सकती है. जहां उन्होंने हर जाति विशेष वर्ग को देखते हुए संविधान का निर्माण किया गया.

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