Court Hearing On Ajmer Dargah Row: सभल की जामा मस्जिद के बाद अब अजमेर शरीफ में शिव मंदिर होने के दावे ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले की सुनवाई करने के लिए कोर्ट तैयार हो गया है। जिसके बाद राजनीति तेज हो गई है। सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने सीधे-सीधे जज पर ही सवाल खड़े कर दिए। इसके अलावा नगीना से सांसद चंद्रशेखर रावण ने भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अगर बौद्ध समुदाय मंदिरों के नीच मठ खोजने लगे तो क्या होगा?
भाजपा ने किया समर्थन
एकतरफ कोर्ट के सुनवाई करने के फैसले का विपक्ष विरोध कर रहा है तो, दूसरी तरफ भाजपा नेता ने फैसले का समर्थन किया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा अजमेर में न्यायालय ने सर्वेक्षण का आदेश दिया है। अगर न्यायालय ने सर्वेक्षण का आदेश दिया है तो इसमें क्या दिक्कत है? यह सच है कि जब मुगल भारत आए, तो उन्होंने हमारे मंदिरों को तोड़ा था। कांग्रेस सरकार ने अब तक केवल तुष्टिकरण किया है। उन्होंने कहा कि अगर जवाहरलाल नेहरू ने 1947में ही इसे रोक दिया होता, तो आज न्यायालय जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
क्या है अजमेर शरीफ विवाद?
दरअसल, अजमेर शरीफ को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि दरगाह के अंदर शिव मंदिर है। मंदिर में पूजा और जलाभिषेक होता था। इसके लिए याचिका में अजमेर निवासी हर विलास शारदा द्वारा वर्ष 1911में लिखी पुस्तक का हवाला दिया गया है। पुस्तक में दरगाह के स्थान पर मंदिर का जिक्र किया गया है। दरगाह परिसर में मौजूद 75फीट लंबे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलबे के अंश और तहखाने में गर्भगृह होने का प्रमाण होने का दावा हिन्दू पक्ष कर रहे हैं।
इससे पहले हिंदू सेना की तरफ से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका पेश की गई थी। हालांकि, न्यायाधीश प्रीतम सिंह ने ये कहकर सुनवाई से इनकार कर दिया था कि यह उनका अधिकार नहीं है। इसके बाद जिला अदालत में याचिका पेश दाखिल की गई थी।
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