सुप्रीम कोर्ट को लगता है की केस में और नाटकीय मोड़ आ सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट को लगता है की केस में और नाटकीय मोड़ आ सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में बीएच लोया केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि यह मामला उचित बेंच को सौंपा जाए।
 
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और अन्य चार वरिष्ठ जजों के बीच चल रहे विवाद में मंगलवार को एक नाटकीय मोड़ देखने को मिला जहा बीएच लोया की मौत की स्वतंत्र जांच कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मंगलवार के अपने आदेश में दोनों जजों की बेंच ने कहा, ‘सभी दस्तावेज सात दिन के अंदर रिकॉर्ड किए जाएं और अगर उचित समझा जाए तो इनकी प्रतियां याचिकाकर्ताओं को दी जाएं। इन्हें उचित बेंच को दिखाया जाए.’
 
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस मोहन एम शांतनागौदर को लेकर अफवाहें थीं कि वे बीएच लोया मामले की सुनवाई से खुद को दूर रखना चाह रहे थे। यह मामला राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील है। बीते शुक्रवार को चार वरिष्ठ जजों की प्रेस कॉन्फ़्रेंस के बाद यह और संवेदनशील हो गया है। यही वजह है कि बेंच के निर्णय को दोनों जजों की अनिच्छा से जोड़कर देखा जा रहा है।
 
इससे पहले सोमवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश सामान्य बातचीत के लिए एक साथ आए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इस दैनिक मुलाकात में न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने सीजेआई दीपक मिश्रा को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चारों जजों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि जस्टिस जे चेमलेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस मदन बी लोकुर ने उनकी बेंच को सीजेआई मिश्रा की पसंद की बेंच बताकर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा पर चोट की है। अरुण मिश्रा ने यह भी कहा कि उन्हें संविधान और कानून के उनके ज्ञान के चलते सर्वोच्च अदालत का न्यायाधीश बनाया गया है। लेकिन मंगलवार को बीएच लोया केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा उदासीन नजर आए। 
 
उधर, चार वरिष्ठ जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस किए जाने के बाद सीजेआई दीपक मिश्रा ने पहली बार चारों जजों से बातचीत की। 15 मिनट की यह बातचीत मंगलवार को जस्टिस दीपक मिश्रा के चेंबर में हुई। खबर के मुताबिक इस बैठक में तीन और जज - जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस यूयू ललित - भी शामिल हुए। उम्मीद की जा रही है कि बैठकों का दौर आगे भी जारी रहेगा।

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