रामपुर चुना गया सबसे खराब शहर

रामपुर चुना गया सबसे खराब शहर

यहां कोई सिटी बस सर्विस नहीं है, वेस्ट डिस्पॉजल साइट नहीं है, स्थानीय हॉस्पिटलों में इमर्जेंसी संभालने की कोई व्यवस्था नहीं है, स्कूलों में किताब नहीं और बिजली सप्लाई की स्थिति बेहद खराब। रामपुर के स्थानीय लोग लंबे समय से कह रहे हैं कि यह सिर्फ नाम का शहर है।
अब केंद्र ने भी इस पर मुहर लगा दी है। 25 साल की एक सेल्स एग्जिक्यूटिव लक्ष्या सक्सेना ने कहा, 'हम लोग सही कह रहे हैं कि इससे बदतर कुछ और नहीं हो सकता है। बता दें कि शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स 2018 में रामपुर को 111वां स्थान दिया है। रामपुर के सवा तीन लाख निवासी रोजाना करीब 165 टन कूड़ा निकालते हैं। इसमें से कुछ को पास के घाटमपुर गांव के पास फेंका जाता है और बाकी बचे को सड़कों पर या ड्रेन्स में। क्योंकि वहां कोई वेस्ट मैनेजमेंट सुविधा नहीं है।
 
स्थानीय वकील सैयद अमीर मैन ने कहा, 'हमसे कहा गया था कि कूड़े से बिजली पैदा की जाएगी। चारों तरफ कूड़ा है, लेकिन बिजली का नामों निशान नहीं।' रामपुर के मुख्य स्वच्छता अधिकारी और खाद्य निरीक्षक टीपीएस वर्मा ने इसके लिए स्टाफ की कमी को जिम्मेदार ठहराया है। वर्मा ने कहा, '1991 के सरकारी आदेश के मुताबिक, प्रत्येक 10 हजार जन संख्या पर 28 स्वीपर होने चाहिए। हमारे पास 355 स्थायी नियुक्तियों के लिए सिर्फ 199 और 534 कॉन्ट्रैक्ट वाले कर्मचारियों की जगह पर महज 170 हैं। हमें 43 में से 21 वॉर्डों की सफाई के लिए बाहर से लोग लेने पड़ते हैं।' 
 

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