चीन के चेताने पर ट्रंप ने किया मोदी को फोन।

चीन के चेताने पर ट्रंप ने किया मोदी को फोन।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार सुबह फोन पर बात कीदोनों नेताओं ने इस बातचीत में मालदीव संकट, नॉर्थ कोरिया, दक्षिण एशिया के मुद्दे पर चर्चा की।

मोदी-ट्रंप ने मालदीव में लोकतंत्र पर बनाए जा रहे दबाव पर चिंता जताई और जल्द ही समाधान होने की उम्मीद जताई।गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की दोस्ती काफी अच्छी है।इससे पहले मोदी की पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ भी अच्छे संबंध थे।ट्रंप ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पीएम मोदी की तारीफ भी की है।अभी तक दोनों नेताओं के बीच तीन बार मुलाकात हो चुकी है।इसके अलावा दोनों नेताओं ने कम से कम इतने ही मौकों पर फोन पर भी बात की है।  चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बीजिंग मालदीव पर नजर बनाए हुए है।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था, 'हमें उम्मीद है कि मालदीव सरकार और वहां की विपक्षी पार्टियां आपस में मिलकर राजनीतिक संकट को सुलझा सकते हैं।'

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि मालदीव में जो सियासी संकट उपजा है, उसे सुलझाने की बुद्धिमत्ता वहां की सरकार और विपक्षी दलों में है।ऐसे में मालदीव संकट पर किसी अंतरराष्ट्रीय दखल की जरूरत नहीं है।वहीं, चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में सीधे तौर पर मालदीव को भारत के प्रति चौकन्ना किया गया था।लेख में कहा गया था कि मालदीव को भारत की भूमिका और अपने देश की स्वतंत्रता में से किसी को चुनना पड़ेगा।इसके पीछे दलील दी गई कि भारत दक्षिण एशियाई देशों को नियंत्रित करना चाहता है, ऐसे में मालदीव को इससे खबरदार रहना होगा।इन सभी आधिकारिक मुलाकातों के अलावा डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप भी भारत दौरे पर आई थीं।इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी से भी मुलाकात की थी।अमेरिका और भारत के लगातार अच्छे होते संबंधों पर पाकिस्तान और चीन की भी नज़र है।यही कारण है कि चीन लगातार पाकिस्तान का समर्थन करता दिखता है।

आपको बता दें कि 2018 में दोनों नेताओ के बीच यह पहली आधिकारिक बातचीत है।इससे पहले दोनों नेताओं की दावोस में वर्ल्ड इकॉनोमिक फॉरम के दौरान मिलने की उम्मीद थी, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई थी।

गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका का पाकिस्तान पर कड़ा रुख हुआ है।हाल ही में अमेरिका ने अपनी नई अफगान नीति का ऐलान किया था, जिसमें भारत का अहम रोल सामने आया था।भारत के रुख के कारण ही अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 255 मिलियन डॉलर की मदद पर रोक दिया था।

 

 

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