कश्मीर में अलगावादियों पर भड़की महबूबा

कश्मीर में अलगावादियों पर भड़की महबूबा

कश्मीर में अलगावादियों पर भड़की महबूबा

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में 40 से ज्यादा CRPF के जवान शहीद हो गए. हमले के बाद अलगाववादियों पर रोक लगाने की प्रक्रिया तेज हो गई है.इसी कड़ी में शुक्रवार रात जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को हिरासत में लिया गया है. इसके अलावा पाकिस्तान की ओर से आतंकी गतिविधियों की आशंका के मद्देनजर सीमा पर भी सुरक्षा बढ़ाई गई है. शनिवार सुबह लाल चौक पर तिरंगा फहराने गए अकाली दल के कार्यकर्ताओं हिरासत को में लिया गया है.

इसी बीच जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने नेताओं को हिरासत में लेने के फैसले पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया, 'पिछले 24 घंटे में हुर्रियत नेताओं और जमात संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है. मनमाने तरीके से उठाया गया ये कदम जम्मू-कश्मीर में मुद्दों को उलझा देगा. किस बिनाह पर नेताओं की गिरफ्तारी हुई? आप किसी शख्स को कैद कर सकते हो, उसके विचारों को नहीं.'

सज्जाद लोन ने उठाए सवाल

 पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सज्जाद गनी लोन ने कहा कि वह कश्मीर में अलगाववादियों से उनकी सुरक्षा वापस लेने के फैसले का "समर्थन नहीं करते’’ और उनके पिता की सुरक्षा "कम" किए जाने के कुछ महीने बाद ही उनकी हत्या कर दी गयी थी. पुलवामा आतंकी हमले के बाद सज्जाद लोन के बड़े भाई बिलाल लोन सहित छह अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा रविवार को वापस ले ली गयी थी. मैंने अपने पिता को खोया है और मैं इसका समर्थन नहीं कर सकता क्योंकि मैं कभी किसी के खिलाफ हिंसा का समर्थन नहीं करूंगा. अलगाववाद से राजनीति में आए लोन ने कहा कि उनके पिता की सुरक्षा 2002में कम कर दी गयी थी और कुछ महीनों के बाद उनकी हत्या हो गयी. वह इस निर्णय का समर्थन करने की स्थिति में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें सुरक्षा प्रदान नहीं की गई होती तो वह चुनाव नहीं लड़ पाते क्योंकि वह तब जीवित नहीं होते.

आतंक के खिलाफ दुनिया एकजुट

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में बीते हफ्ते हुए आतंकी हमले का विरोध अमेरिका में बसा भारतीय समुदाय भी कर रहा है. अमेरिका के न्यू जर्सी से लेकर न्यूयार्क और शिकागो में हमले के खिलाफ भारतीय मूल के लोगों ने विरोध किया. वही पाकिस्तानी दूतावास के बाहर भारतीय के लोग जमा हुए उन्होंने इस कायराना हरकत के लिए आतंक के पनाहगार पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की और इसके अलावा अमेरिका के कई शहरों में पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी गई.

 

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