सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर जन्मभूमि मामले की सुनवाई फिलहाल टल गई है। इस फैसले पर देश भर की निगाहें टिकी हैं।सुप्रीम कोर्ट में कार सेवकों पर गोली चलवाने वाले मसले की भी सुनवाई होगी।
इसके अलावा योगी सरकार के ताजमहल पर विजन दस्तावेज, रैन बसेरा और बोफोर्स मुद्दे पर भी सुनवाई होनी है। राम मंदिर मामले के लिए दस्तावेजों का अलग-अलग लिपियों और भाषाओं में अनुवाद किया गया है।सुप्रीम कोर्ट में 5 दिसंबर को हुई सुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 53 खंडो में तमाम दस्तावेजों के अनुवाद कराए हैं। सूत्रों के अनुसार, मूल दस्तावेज संस्कृत फारसी, पालि, उर्दू और अरबी में हैं।
वरिष्ठ वकील व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल की ओर से इस मामले की सुनवाई 2019के लोकसभा चुनाव तक डालने की अपील की गई थी, जिसे शीर्ष अदालत ने ठुकरा दिया। अयोध्या में कुल 2.7एकड़ की विवादित जमीन पर हिंदुओं और मुसलमानों, दोनों ने दावा ठोंक रखा है। 5दिसंबर, 2017को बेंच ने इस मामले की सुनवाई के लिए 8फरवरी की तारीख तय की थी। कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन और दुष्यंत दवे जैसे वरिष्ठ वकीलों ने देश के राजनैतिक हालात को देखते हुए सुनवाई टालने की गुहार लगाई थी। हालांकि अदालत ने सुनवाई को टालने से इनकार करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ताओं के व्यवहार को ‘शर्मनाक’ करार दिया था।
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