INDIA-CHINA: नए साल में भारत और चीन के बीच रिश्ते कैसे रहेंगे ये तो वक्त बताएगा लेकिन साल के पहले दिन ही मोदी सरकार ने चीन को झटका दे दिया है।
नए साल का आगाज हो चुका है। साल के पहले दिन ही ऐसी खबर आई है कि देश के उद्योंगों को बचाने के लिए मोदी सरकार ऐसा फैसला करने जा रही है जिससे चीन को नुकसान और भारत को फायदा होने वाला है खबरों के मुताबिक मोदी सरकार चीन से आयातित सिंथेटिक रबर पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की तैयारी कर रही है इस रबर का इस्तेमाल मुख्य रूप से वाहन और अन्य उद्योगों में होता है इस संबंध में आखिरी फैसला वित्त मंत्रालय को करना है।
दरअसल, वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय DGTR ने चीन से आयातित सिंथेटिक रबर (फ्लोरोइलास्टोमर्स ) पर 0.078 से 7.31 डॉलर प्रति किलोग्राम की दर से डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की है। DGTR के मुताबिक सिंथेटिक रबर के आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाना जरूरी है यह शुल्क 18 माह के लिए लगाया जाएगा लेकिन इस पर आखिरी फैसला वित्त मंत्रालय करेगी जनवरी, 2018 में गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स ने शिकायत कर DGTR से कहा था कि चीन से इस उत्पाद की डंपिंग की जा रही है।
अगर आसान भाषा में समझें तो बाहर से आने वाले सस्ते माल की वजह से अगर किसी देश की घरेलू इंडस्ट्री को खतरा पैदा हो तो उसे बचाने के लिए सरकार एंटी डंपिंग शुल्क लगाती है। इससे बाहर से आने वाले सामान की कीमत बढ़ जाती है और घरेलू मार्केट से ज्यादा दाम हो जाते हैं यानी सरकार के इस फैसले का असर सीधे चीन की कंपनियों पर पड़ने जा रहा है।
इससे पहले बीते दिसंबर महीने में भी भारत ने चीन के खिलाफ एक अहम फैसला लिया था दरअसल, भारत ने दूध और दूध से बने चॉकलेट जैसे खाने-पीने के उत्पादों के आयात पर लगाए गए प्रतिबंध की समय सीमा को बढ़ा दी है हालांकि यह प्रतिबंध सितंबर 2008 में लगाया गया था प्रतिबंध तब से लगातार बढ़ाया जाता रहा है दिसंबर में इन प्रोडक्ट के आयात पर प्रतिबंध चार महीने की अवधि यानी 23 अप्रैल, 2019 तक बढ़ाई गई है।
करीब दस साल पहले ऐसी रिपोर्ट आई थीं कि चीन से आयात होने वाले दूध या दूध से बने प्रोडक्ट में रसायनिक पदार्थ मेलामाइन मिलाया जा रहा है मेलामाइन एक प्रकार का रसायनिक पदार्थ है जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने सहित औद्योगिक प्रक्रिया में किया जाता है इस रसायनिक की वजह से कैंसर, लकवा और किडनी की बीमारियां होने की आशंका रहती है। विश्व के अनेक देशों में इस रसायन को प्रतिबंधित किया जा चुका है।
Leave a comment