क्या पाकिस्तानियों की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे इमरान खान

क्या पाकिस्तानियों की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे इमरान खान

1 करोड़ नौकरियां पैदा करना, एक इस्लामिक कल्याणकारी देश बनाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तार-तार हो चुकी पाकिस्तान की छवि को सुधारना, नए प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने अब देश से किए खुद के इन वादों को पूरा करने की चुनौती है।
स्टार क्रिकेटर रहे और फायरब्रैंड राष्ट्रवादी खान ने बीते महीने हुए चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें जीती। इस चुनाव को जीतने के लिए खान ने देश में भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने और लोगों को गरीबी से निकालने का वादा किया। लेकिन उन्हें कई चुनौतियां विरासत में मिली है, जिनमें से आर्थिक संकट और आतंकवाद के मुद्दे पर अहम सहयोगी रहे अमेरिका के साथ खराब रिश्ते सबसे बड़ी हैं। अफगानिस्तान और भारत जैसे पड़ोसी देशों के साथ भी तनावपूर्ण रिश्ते चुनौतियों में शुमार है। 
 
संसद में विपक्षी खान को कठपुतली बताकर और उनकी जीत के पीछे सेना के साथ गठजोड़ को कारण बता उनके खिलाफ एक महागठबंधन बनाने की राह पर हैं। हालांकि, खान लगातार चुनावों में सेना की मदद मिलने के आरोपों का खंडन करते रहे हैं। अपने विजयी भाषण में खान ने भारत के साथ तनाव खत्म करने की बात कही तो वहीं अमेरिका के साथ परस्पर फायदेमंद रिश्तों का समर्थन किया। विशेषज्ञ कहते हैं कि प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करने वाले खान पहले नेता बनेंगे या नहीं यह प्रभावशाली सैन्य अफसरों के साथ उनके रिश्तों पर निर्भर करता है। अगर उनकी विदेश नीति सैन्य अधिकारियों से अलग होगी, तो विशेषज्ञ कहते हैं कि खान का भी वही हाल होगा जो दूसरे प्रधानमंत्रियों का हुआ और वह भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे। पॉलिटिकल कमेंटेटर आमिर अहमद कहते हैं, 'तब उनका भविष्य भी बाकी नेताओं के जैसा ही होगा।' 
 

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