ओपनिंग बनी टीम इंडिया के लिए बड़ी पहेली।

ओपनिंग बनी टीम इंडिया के लिए बड़ी पहेली।

यह तो पता था कि विराट कोहली के नेतृत्व वाली भारतीय टीम के लिए स्विंग के लिए मशहूर परिस्थितियों में 'इंग्लिश टेस्ट' बेहद मुश्किल होगा, लेकिन प्रदर्शन इतना फिसड्डी होगा, अंदाजा नहीं था। एजबेस्टन और लॉर्ड्स में शिकस्त खाकर सीरीज गंवाने के कगार पर खड़ी भारतीय टीम के बल्लेबाजों के फ्लॉप शो ने मुश्किल बढ़ा दी है, खासकर दोनों ही टेस्ट में ओपनर्स ने बुरी तरह निराश किया है।
पहले टेस्ट में शिखर धवन की बल्ले से नाकामी के बाद दूसरे टेस्ट में चेतेश्वर पुजारा की वापसी हुई और शिखर को हटाकर केएल राहुल को प्रमोट किया गया। उन्हें लॉर्ड्स टेस्ट में मुरली विजय के साथ पारी के आगाज का मौका मिला, बावजूद इसके नतीजा बेहद खराब रहा। सीरीज में शिखर, मुरली और राहुल के बल्ले से रन न निकलने से पूरी टीम पर दबाव आ गया है। इसके अलावा अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा के बल्ले भी रन के लिए तरस रहे हैं। टीम के लिए बस गेंदबाजों ने अपना काम सही तरह से निभाया है। बर्मिंगम के पहले टेस्ट की पहली पारी में शिखर-विजय की जोड़ी ने थोड़ी-सी आस बंधाई थी, जब भारत ने बिना विकेट गंवाए स्कोर बोर्ड में 50 रन जोड़ लिए थे। इसमें शिखर ने 26 तो विजय ने 20 रन बनाए। लेकिन दूसरी पारी में लक्ष्य का पीछा करते हुए शिखर धवन 13 तो विजय 6 रनों पर ही पविलियन लौट गए। 
 
वहीं लॉर्ड्स में विजय तो जिमी एंडरसन की स्विंग बोलिंग के आगे एकदम असहाय नजर आए और दोनों इनिंग्स में अपना खाता तक नहीं खोल पाए। राहुल भी दोनों पारियों में क्रमश: 8 और 10 रन बनाकर पूरी तरह नाकाम रहे। चेतेश्वर पुजारा ने हालांकि दोनों पारियों में क्रीज पर समय जरूर बिताया मगर उनका योगदान 1 और 17 रन का ही रहा। साउथ अफ्रीका के खिलाफ हुए तीन टेस्ट मैचों और इंग्लैंड के पहले दो टेस्ट को जोड़ दें तो खतरे की घंटी बजना साफ है। इन पांच मैचों में शिखर का औसत करीब 35, विजय का 21.18, पुजारा का 17, रहाणे का 16.42 और राहुल का 13.22 रहा है। इन टॉप बल्लेबाजों के अलावा भारत के पास विकल्प भी नहीं बचते हैं क्योंकि कोई बैकअप प्लान नहीं है। 
 

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